प्रो. आशा शुक्ला — आशा पारस फॉर पीस एंड हारमनी फाउंडेशन, समाजोत्थान, शिक्षावर्धन, शोध एवं मानवीय मूल्यों के संरक्षण हेतु निरंतर प्रयासरत है। प्रवेशांक “मध्यस्थ दर्शन सह-अस्तित्ववाद” विशेषांक।
PDF देखेंअंजली अवधिया — डार्विन के ‘प्राकृतिक चयन’ सिद्धांत और सह-अस्तित्ववादी दृष्टिकोण के बीच तुलनात्मक अध्ययन। यह अध्ययन संघर्ष बनाम सहयोग की अवधारणा को स्पष्ट करता है।
PDF देखेंअर्पिता शर्मा एवं सुरेन्द्र पाठक — राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में अनुभवात्मक, मूल्य आधारित और संवादात्मक शिक्षा की संकल्पना का विश्लेषण।
PDF देखेंअर्चना सेंगर — कोशिका केवल जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं का समूह नहीं, बल्कि एक सुव्यवस्थित और संतुलित संरचना है जो सह-अस्तित्ववादी दृष्टि से जीवन को समझाती है।
PDF देखेंबंसी चंदराना एवं सुनील छानवाल — आदर्शवाद और भौतिकवाद की सीमाओं के साथ पारिवारिक जीवन को सह-अस्तित्ववादी समाधान के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
PDF देखेंदेव प्रकाश शर्मा एवं सुरेंद्र पाठक — “अस्तित्व सहअस्तित्व है” की अवधारणा के आधार पर ग्राम जीवन की समरस व्यवस्था का विश्लेषण।
PDF देखेंगौरीकान्ता साहू — मध्यस्थ दर्शन सह-अस्तित्ववाद व्यक्ति, परिवार, समाज और प्रकृति में संतुलन की दिशा देता है।
PDF देखेंजनक जे. शाह एवं सुनील छानवाल — आधुनिक चुनौतियों के संदर्भ में “अस्तित्व ही सह-अस्तित्व है” सिद्धांत का महत्व।
PDF देखेंसाधन भट्टाचार्य — जीवन और चेतना के बीच संबंध का अध्ययन, विज्ञान और दर्शन के बीच सेतु।
PDF देखेंसोनिका एवं सुरेन्द्र पाठक — मानव जीवन के आयामों में सह-अस्तित्ववादी शिक्षा की आवश्यकता और योगदान।
PDF देखेंसुरेन्द्र जगलान — पारिवारिक सामंजस्य, सामाजिक न्याय और मानवीय व्यवस्था की स्थापना में सह-अस्तित्ववादी नैतिकता का योगदान।
PDF देखेंसुनील गुप्ता — आधुनिक पर्यावरणीय संकटों के समाधान हेतु सह-अस्तित्ववादी दृष्टिकोण।
PDF देखें